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पानी और पशुपालन: दूध उत्पादन, स्वास्थ्य व पशु कल्याण का आधार

Training • 16 Nov 2025 • 5 min read
पानी और पशुपालन: दूध उत्पादन, स्वास्थ्य व पशु कल्याण का आधार

पानी और पशुपालन – दूध उत्पादन, स्वास्थ्य और जीवन के लिए क्यों आवश्यक है?

पानी हर जीवित प्राणी के लिए जीवन का आधार है, लेकिन पशुपालन में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊँट, घोड़ा, कुत्ते, बिल्ली जैसे सभी पालतू पशु न केवल पानी पर निर्भर हैं, बल्कि उनकी उत्पादन क्षमता, सेहत, पाचन शक्ति, शरीर का तापमान, दूध की गुणवत्ता और जीवन काल — सभी पानी के स्तर पर निर्भर करते हैं।

कई पशुपालक यह मानते हैं कि चारा-पोषण सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन वास्तविकता यह है कि पानी चारे से भी अधिक महत्वपूर्ण है। एक पशु भोजन के बिना 2–3 दिन रह सकता है, लेकिन पानी के बिना नहीं।

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि पानी पशुओं के लिए कितना आवश्यक है, इसकी कमी किन बीमारियों को जन्म देती है, और पशुपालक पानी का सर्वोत्तम प्रबंधन कैसे कर सकते हैं।

पशुओं के शरीर में पानी की भूमिका

• गाय के शरीर का 55–65% हिस्सा पानी है
• दूध का लगभग 87% भाग पानी है
• पाचन तंत्र पानी पर निर्भर
• शरीर का तापमान नियंत्रित करने में पानी मुख्य भूमिका निभाता है
• रक्त संचार, हार्मोन संतुलन और मांसपेशियों का कार्य पानी पर आधारित है

यानी, पानी न हो तो पशु न खा सकते हैं, न पचा सकते हैं और न ही स्वस्थ रह सकते हैं।

दूध उत्पादन और पानी — दोनों का सीधा गणित

दूध में स्वयं 87% पानी होता है, इसलिए जितनी अधिक दूध देने वाली गाय/भैंस होगी, उतनी ही अधिक पानी की आवश्यकता भी होगी।

अनुमान:

• 1 लीटर दूध उत्पादन के लिए पशु को लगभग 4–5 लीटर पानी चाहिए।

उदाहरण:

यदि भैंस 10 लीटर दूध दे रही है, तो उसे लगभग 40–50 लीटर पानी प्रतिदिन चाहिए।

गाय और भैंस को कितना पानी चाहिए?

गाय: 35–50 लीटर प्रतिदिन (दूध उत्पादन और मौसम पर निर्भर)
भैंस: 40–70 लीटर प्रतिदिन (भैंस ज्यादा पीती है क्योंकि इसका शरीर गर्म रहता है)
बछड़े/हीफर: 10–20 लीटर
सूखी गाय: 20–30 लीटर

गर्मी में पानी की जरूरत दोगुनी

उच्च तापमान (40°C से ऊपर) में:

• पशु ज्यादा पसीना छोड़ते हैं
• सांस तेजी से चलती है
• पानी की कमी तुरंत तनाव पैदा करती है

इसलिए गर्मी में छाया, ठंडा पानी और बार-बार पानी देना अनिवार्य है।

बकरी और भेड़ — कम पानी में जीने वाले लेकिन संवेदनशील पशु

बकरी और भेड़ रuminants हैं, और सामान्यतः गाय/भैंस से कम पानी पीते हैं।

बकरी: 6–10 लीटर प्रतिदिन
भेड़: 4–6 लीटर प्रतिदिन

लेकिन उनकी पानी की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है। गंदा पानी बकरी/भेड़ में दस्त, कीड़े, और पाचन विकार पैदा करता है।

ऊँट — रेगिस्तान का जल योद्धा

ऊँट कई दिन पानी के बिना रह सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसे पानी की आवश्यकता कम है।

• एक बार में 40–60 लीटर पानी पी सकता है
• गर्मी में शरीर का तापमान 41°C तक ले जाता है ताकि पानी की बचत हो सके

ऊँट का पानी प्रबंधन पशुपालन का एक अनोखा अध्याय है, लेकिन उसे भी नियमित अंतराल पर स्वच्छ पानी देना आवश्यक है।

कुत्ते और बिल्लियाँ — पालतू परंतु अत्यंत संवेदनशील

कुत्तों और बिल्लियों की पानी आवश्यकता उम्र, आकार और गतिविधि पर निर्भर करती है।

कुत्ता: 50–70 ml पानी प्रति किलोग्राम वजन
बिल्ली: 40–60 ml प्रति किलोग्राम

यदि आप 20 kg के पालतू कुत्ते को पालते हैं, तो उसे 1–1.4 लीटर पानी प्रतिदिन चाहिए।

गंदा पानी — पशुओं के लिए जहर

पशुपालक की सबसे बड़ी गलती है: “अगर पानी साफ दिख रहा है तो ठीक है।”

लेकिन कई बार पानी में:

• बैक्टीरिया
• परजीवी
• केमिकल
• नालों/कुएँ का प्रदूषण
• मिट्टी के कण

होते हैं, जो पशु में गंभीर बीमारी पैदा करते हैं।

पानी की कमी से होने वाली प्रमुख बीमारियाँ

1. हिट स्ट्रोक — खासतौर पर भैंसों में
2. केटोसिस
3. कब्ज / अपच
4. दूध कम होना
5. निर्जलीकरण (Dehydration)
6. बदन दर्द / मांसपेशियों में जकड़न
7. किडनी समस्याएँ
8. भूख कम होना
9. बछड़ों में कमजोरी और मौत

कैसे पता करें कि पशु को पानी की कमी है?

• नाक सूखी हो जाना
• आँखें धंसी दिखना
• त्वचा लचीली न रहना
• खड़े होने में कमजोरी
• ठूंठ-ठूंठ प्यास लगना
• दूध अचानक कम हो जाना

पानी और चारे का संतुलन

गाढ़ा चारा (सूखा भूसा, अनाज) खाने पर पशुओं को अधिक पानी चाहिए। हरा चारा देने से पानी की आवश्यकता थोड़ी कम होती है, लेकिन फिर भी पानी अनिवार्य है।

भूसा + पानी = पाचन
भूसा – पानी = अपच / कब्ज

बछड़ों और छोटे जानवरों के लिए पानी अत्यंत आवश्यक

बछड़ों को जन्म के पहले 2–3 सप्ताह में लोग पानी नहीं देते। यह घातक गलती है।

बछड़ा दूध के साथ पानी की अलग से आवश्यकता रखता है। नियम: 3–4 दिन बाद प्रतिदिन साफ पानी दें।

पशुओं के बाड़े में पानी की व्यवस्था कैसे हो?

• छाया में पानी रखें
• टंकी/बर्तन प्रतिदिन साफ करें
• काई न जमने दें
• गर्मी में पानी ठंडा और सर्दी में हल्का गुनगुना दें
• पानी हमेशा *free-access* होना चाहिए

पानी का प्रदूषण — पशुपालकों के लिए खतरा

पशुओं के लिए नहर, तालाब, गंदे नालों का पानी उपयोग करना सबसे बड़ी गलती है।

प्रदूषित पानी से:

• लीवर रोग
• ब्लोट (फुलाव)
• दस्त रोग
• आंत में कीड़े
• दूध की गुणवत्ता खराब
• बछड़ों में मौत

पानी बचत तकनीकें — पशुपालक इन उपायों से पानी बचा सकते हैं

1. वर्षा जल संचयन टैंक बनाएं
2. चारा उगाने में ड्रिप सिंचाई अपनाएँ
3. नहलाने में बर्बादी कम करें
4. बाड़े की सफाई में पानी नियंत्रित करें
5. RO वेस्ट वाटर खेती में उपयोग करें
6. पशु-पान टंकी ओवरफ्लो न होने दें

पानी – स्वास्थ्य, उत्पादन और जीवन तीनों का आधार

पानी के बिना:

• दूध नहीं होगा
• सेहत नहीं रहेगी
• पाचन नहीं होगा
• व्यवसाय नहीं चलेगा
• पशुपालक को आर्थिक नुकसान होगा

निष्कर्ष

पानी पशुपालन का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। पानी जितना स्वच्छ, इतना अधिक उत्पादन और स्वास्थ्य।

किसान चाहे गाय-भैंस पालें, बकरी-भेड़, ऊँट, कुत्ते या मुर्गियाँ — हर पशु का जीवन पानी पर टिका है।

इसलिए पशुपालक का पहला धर्म है कि वह अपने पशुओं को प्रतिदिन पर्याप्त, स्वच्छ और आसानी से उपलब्ध पानी दे।

जिस बाड़े में पानी अच्छा और पर्याप्त हो — वहाँ दूध भी अच्छा और पशु भी स्वस्थ रहते हैं।

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