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देशी बनाम विदेशी नस्लें – आपके क्षेत्र के लिए कौन सी गाय या भैंस सही है?

Dairy • 25 Oct 2025 • 2 min read
Desi vs Videsi Gaay (Indian vs Crossbreed Cow)

देशी बनाम विदेशी नस्लें – आपके क्षेत्र के लिए कौन सी गाय या भैंस सही है?

भारत में पशुपालन केवल आजीविका नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। हर क्षेत्र की अपनी जलवायु और चारे की उपलब्धता होती है, इसलिए हर किसान को यह समझना जरूरी है कि उसके क्षेत्र के लिए कौन-सी नस्ल सबसे उपयुक्त है

🐮 देशी गायों की खासियतें

  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक: देशी गायें जैसे साहीवाल, गिर, थारपारकर, राठी आदि स्थानीय बीमारियों और जलवायु के प्रति अधिक अनुकूल होती हैं।
  • कम रखरखाव लागत: इनका पालन देसी चारे और खुले वातावरण में आसानी से किया जा सकता है।
  • दूध में औषधीय गुण: देशी गाय का A2 प्रकार का दूध पचने में आसान और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।
  • लंबी आयु और आसान प्रजनन: देशी नस्लें कई सालों तक दूध देती रहती हैं और बछड़ों की जीवित रहने की संभावना अधिक होती है।

🐄 विदेशी नस्लों की विशेषताएँ

  • अधिक दूध उत्पादन: Holstein Friesian (HF), Jersey जैसी नस्लें प्रतिदिन 20–30 लीटर तक दूध दे सकती हैं।
  • ठंडी जलवायु के अनुकूल: ये नस्लें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल जैसे ठंडे इलाकों में बेहतर प्रदर्शन करती हैं।
  • अच्छी पोषण और देखभाल आवश्यक: इन गायों को संतुलित आहार, नियमित स्नान, और तापमान नियंत्रण की जरूरत होती है।

🐃 भैंस नस्लों की तुलना

  • मुर्राह भैंस (हरियाणा): दूध में फैट 7–8%, उच्च कीमत और देशभर में प्रसिद्ध।
  • जाफराबादी (गुजरात): भारी शरीर, गर्मी में भी उत्पादन बनाए रखती है।
  • नीलीरावी (पंजाब): ठंडी जलवायु में बेहतर, बड़ी मात्रा में दूध।

🌾 आपके क्षेत्र के अनुसार सही नस्ल

क्षेत्रउपयुक्त गाय नस्लउपयुक्त भैंस नस्ल
राजस्थान (शुष्क/गर्म)राठी, थारपारकर, साहीवालमुर्राह, जाफराबादी
हरियाणा / पंजाबसाहीवाल, HF क्रॉसमुर्राह, नीलीरावी
दक्षिण भारतगिर, अमृतमहलसूरी, पंडारपुरी
पूर्वोत्तर क्षेत्रजर्सी क्रॉस, स्थानीय गायेंकम उपलब्ध, स्थानीय नस्लें

🔬 हाइब्रिड (Cross-breed) का विकल्प

आज कई किसान देशी + विदेशी नस्लों के संकरण (cross-breeding) से दूध उत्पादन और सहनशीलता का संतुलन बना रहे हैं। उदाहरण के लिए – HF × साहीवाल या जर्सी × राठी

💡 निष्कर्ष

यदि आप गर्म और शुष्क क्षेत्र में हैं, तो देशी नस्लें आपके लिए बेहतर हैं। यदि ठंडे और पोषक चारे वाले क्षेत्र में हैं, तो विदेशी या क्रॉस नस्लें भी लाभदायक हो सकती हैं।

सही नस्ल का चयन ही पशुपालन की सफलता की पहली सीढ़ी है। अपने इलाके के पशु चिकित्सक या पशुपालन विभाग से सलाह लेकर निर्णय लें।


✍️ लेखक: डॉ. मुकेश स्वामी, पशु चिकित्सक एवं पशुपालक मार्गदर्शक 🌐 स्रोत: Pashupalan.co.in


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