Fodder

सहजन (Moringa) – दूध देने वाले पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला प्राकृतिक हरा चारा

Fodder • 23 Nov 2025 • 4 min read
सहजन (Moringa) – दूध देने वाले पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला प्राकृतिक हरा चारा

सहजन (Moringa) – दूध देने वाले पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला प्राकृतिक हरा चारा

पशुपालन में चारे की गुणवत्ता और उपलब्धता सीधे दूध उत्पादन, प्रजनन, स्वास्थ्य और फार्म की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। इसी संदर्भ में सहजन (Moringa oleifera) आज दुनिया भर में “सुपर फॉडर (Super Fodder)” के रूप में उभर रहा है। भारत में यह पौधा आसानी से उग जाता है और इसके पत्तों में मौजूद पोषक तत्व दूध देने वाली गाय-भैंसों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

कई वैज्ञानिक शोधों में सिद्ध हुआ है कि सहजन का पत्ता:

  • दूध की मात्रा को बढ़ाता है,
  • दूध की वसा प्रतिशत में सुधार करता है,
  • हीट पीरियड सुधारकर प्रजनन क्षमता बढ़ाता है,
  • कैल्शियम–फॉस्फोरस की कमी को पूरा करता है,
  • और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है।


🌿 1. सहजन के पोषण तत्व – पशुओं के लिए क्यों विशेष?

अगर इसकी पत्तियों की तुलना अन्य चारे से करें, तो सहजन में पोषक तत्वों का स्तर बहुत अधिक पाया जाता है।

  • प्रोटीन: 22–27% (हरी पत्तियों में) — यह लेग्यूम चारे से भी अधिक है।
  • कैल्शियम: हड्डियों और दूध उत्पादन के लिए उत्तम।
  • फॉस्फोरस: ऊर्जा और प्रजनन क्षमता में जरूरी।
  • विटामिन A, C, E: इम्युनिटी बढ़ाते हैं और थन स्वास्थ्य को सुधारते हैं।
  • एंटीऑक्सीडेंट: शरीर में टॉक्सिन्स कम करते हैं।

उच्च प्रोटीन और मिनरल के कारण सहजन की पत्तियाँ डेयरी पशुओं के लिए एक संतुलित, ऊर्जा-समृद्ध और पाचक चारा बन जाती हैं।


🐄 2. दूध देने वाली गाय-भैंसों पर सहजन का प्रभाव

1) दूध उत्पादन (Milk Yield) में वृद्धि

कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि सहजन को 10–20% तक आहार में शामिल करने से दूध में 8–15% वृद्धि होती है। इसका कारण है — उच्च प्रोटीन और उच्च पाचकता (High digestibility)। सहजन की पत्तियाँ आसानी से टूटकर एनर्जी में बदलती हैं, जिससे जानवर अधिक दूध बना पाता है।

2) दूध में वसा प्रतिशत बढ़ना

फैटी एसिड्स और खनिजों के कारण सहजन दूध की वसा (Fat%) को बढ़ाने में मदद करता है। कुछ शोधों में 0.2 से 0.6% तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

3) आंत स्वास्थ्य और पाचन सुधरना

सहजन में प्राकृतिक फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो:

  • अपच, एसिडिटी और अफरा कम करते हैं,
  • रूमेन माइक्रोफ्लोरा को स्वस्थ रखते हैं,
  • चारे के पाचन में 10–15% सुधार करते हैं।

4) प्रजनन (Fertility) में तेजी

सहजन के लगातार उपयोग से:

  • हीट साइकिल नियमित होती है,
  • कन्सेप्शन रेट बढ़ता है,
  • दूध छुड़ाने के बाद जल्दी गर्भधारण होता है।
विटामिन A, C, E और अमीनो एसिड का संयोजन प्रजनन तंत्र को सक्रिय रखता है।

5) रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ना

Moringa में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट व माइक्रो-न्यूट्रीएंट्स पशु की इम्युनिटी बढ़ाकर बुखार, निमोनिया, FMD/HS जैसी बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ाते हैं।


🌱 3. सहजन को चारे में कैसे शामिल करें?

1) हरी पत्तियाँ

  • 10–15 kg तक (वयस्क पशु के लिए) सुरक्षित मात्रा है।
  • हल्का-सा मुरझाने पर पशु अधिक पसंद करते हैं।

2) सूखा पत्ता (Moringa Leaf Meal)

  • 1–2 kg प्रतिदिन आहार में मिलाया जा सकता है।
  • कनसंट्रेट फ़ीड में 10–15% तक Moringa Meal मिलाना अत्यंत लाभकारी है।

3) सहजन की फली

  • फली ऊर्जा देती है और पाचन सुधारती है।
  • वजन गिरने वाले या कम दूध देने वाले पशुओं में उपयोगी।

4) सहजन के बीज

बीज सीमित मात्रा में ही दें — 200–250 ग्राम/दिन (केवल उच्च ऊर्जा आवश्यकता वाले पशुओं के लिए)। बीज अधिक देने से अफरा हो सकता है।


🌳 4. सहजन उगाने के फायदे — खासकर डेयरी किसानों के लिए

  • बहुत कम पानी में उगता है।
  • 3–4 महीने में कटाई योग्य हो जाता है।
  • एक पौधा 20–25 साल तक उत्पादन देता है।
  • बार-बार कटाई करने पर भी तेजी से नया पत्ता उग आता है।
  • बीज, पत्ता, फली — तीनों चारे के रूप में उपयोगी।
  • मौसम के अनुसार 4–6 कटिंग प्रति वर्ष।

कम लागत में अधिक पोषण — यह सहजन को डेयरी किसानों के लिए “सबसे लाभकारी वृक्ष” बनाता है।


🧪 5. वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं?

विश्व में कई संस्थानों ने Moringa पर अध्ययन किए हैं। उनमें सामान्य निष्कर्ष यह है कि:

  • दूध उत्पादन 10–15% तक बढ़ा
  • Fat % 0.2–0.6% तक बढ़ा
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार
  • कन्सेप्शन रेट बेहतर
  • चारे की पाचकता में सुधार

भारतीय नस्लों (साहीवाल, गिर, थारपारकर, हरियाणा) पर किए गए परीक्षणों में भी समान लाभ पाए गए।


⚠️ 6. सावधानियाँ (Important Precautions)

  • एकदम अधिक मात्रा न दें — धीरे-धीरे आहार में शामिल करें।
  • गंदा या सड़ा हुआ पत्ता न खिलाएँ।
  • बीज की मात्रा नियंत्रित रखें।
  • हरी पत्तियाँ खिलाने के साथ पर्याप्त पानी दें।
  • भैंसों में शुरू में 5–7 kg ही दें और धीरे-धीरे बढ़ाएँ।

🌾 निष्कर्ष

सहजन केवल एक पेड़ नहीं, बल्कि डेयरी फार्म का कम-लागत हाई-प्रोटीन फॉडर है। यह दूध बढ़ाता है, वसा सुधारता है, प्राकृतिक इम्युनिटी देता है और प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाता है। कम जमीन, कम पानी और कम लागत में मिलने वाला सहजन पशुपालकों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।

Pashupalan.co.in किसानों से आग्रह करता है—अपने खेतों के किनारों, चारे के प्लॉट और सीमा-बाड़ के पास सहजन को अवश्य लगाएँ। यह छोटा-सा कदम आपके डेयरी व्यवसाय में बड़ा बदलाव ला सकता है।

पशुपालन से संबंधित उपयोगी जानकारी के लिए
WhatsApp चैनल Pashupalan | Vets & Farmers को फॉलो करलें तथा वेबसाइट pashupalan.co.in को Save करके रखें👍


Share this blog
👉 हमारा Pashupalan WhatsApp Channel Join करें

पशुपालन से जुड़ी जरूरी जानकारी, blogs, videos और directory updates सीधे WhatsApp पर पाएं।

🔗 Follow on WhatsApp